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BJP Bikaner : 02 मंडल अध्यक्ष रिपीट, 01 रोका, संगठन के फार्मूले पर दिखा एमएलए का प्रभाव!

  • यूं साधे जातिगत समीकरण : 04 ओबीसी, 03 ब्राह्मण, 01 वैश्य, 01 राजपूत

RNE Bikaner, Political Desk.

आखिरकार भाजपा ने बीकानेर शहर के 10 में से 09 मंडल अध्यक्षों की घोषणा कर दी। एक गंगाशहर मंडल में अध्यक्ष का चुनाव पेंडिंग रखा गया है। यह पेंडिंग रखने की वजह नाम को लेकर गहराया विवाद और मतभेद है। इसके साथ ही जिन नौ मंडल अध्यक्षों की घोषणा हुई है उससे यह साफ लगता है कि चुनाव प्रभारी ओंकारसिंह लखावत की ओर से अध्यक्ष चुनने के लिए करवाये गये पर्ची मतदान की पर्चियां नहीं चली। हालांकि यह पहले ही तय हो गया था कि ये पर्चियां नहीं चलेगी इसी वजह से संगठन के प्रभारी दशरथसिंह शेखावत को मंडल अध्यक्ष के चयन की जिम्मेदारी दी गई। शेखावत के सामने कई मंडलो  के कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों के विवाद भी आये। ऐसे में पैनल बनाया गया और उस पैनल को संगठन की ओर से जारी चयन प्रक्रिया के फार्मूले में फिट करने के प्रयास किये गये। यह सूची इसी प्रयास का नतीजा लग रही है। इसके साथ ही यह कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी कि बीकानेर पश्चिम विधानसभा के मंडलों में पर्चियों और चुनाव प्रक्रिया से कहीं आगे विधायक का प्रभाव भी रहा। एकाध जगह विधायक, संगठन और निवर्तमान मंडल कार्यकारिणी में तालमेल नहीं बैठने पर कॉमन नाम भी लिया गया। यही वजह है कि 09 में से एक महिला मंडल अध्यक्ष भी चुनकर सामने आई।

पहले जानें कहां से कौन मंडल अध्यक्ष:

भाजपा के जिला प्रभारी दशरथसिंह शेखावत की ओर से जारी इस सूची में एकमात्र पुराना शहर मंडल ऐसा है जहां महिला आशा आचार्य को अध्यक्ष बनाया गया है। शहर के 10 में से एक गंगाशहर मंडल में अध्यक्ष का निर्णय रोका गया है। बीकानेर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के गोपेश्वर मंडल में प्रेम गहलोत, पुराना शहर मंडल में आशा आचार्य, नयाशहर मंडल में विशाल गोलछा, जस्सूसर में दिनेश चौहान, मुक्ताप्रसाद मंडल में कपिल शर्मा को अध्यक्ष बनाया गया है।
इसी तरह बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र के लालगढ़ में धर्मपाल डूडी, जूनागढ़ में देवरूप सिंह शेखावत, शिवबाड़ी में अभय पारीक और रानी बाजार में मुकेश सैनी को अध्यक्ष बनाया गया है।

ये जातिगत समीकरण:

ऐसे में बनाये गये मंडल अध्यक्षों का जातिगत समीकरण देखा जाएं तो इनमें एक जाट, तीन मूल ओबीसी सहित चार ओबीसी, एक महिला सहित तीन ब्राह्मण, एक राजपूत और एक वैश्य को स्थान दिया गया है। एक गंगाशहर मंडल की घोषणा रोकी गई है। पुख्ता जानकारी के मुताबिक यहां सर्वाधिक सदस्य बनाने वाले एक ब्राह्मण कार्यकर्ता का मंडल अध्यक्ष के लिए दावा मजबूत था जबकि कुछ नेता एक वैश्य के नाम पर अड़े थे। ऐसे में एकबारगी नाम रोक दिया गया है।

02 मंडल अध्यक्ष रिपीट, बाकी इस फार्मूले से बने:

मोटे तौर पर भाजपा संगठन ने तय किया था कि 2019 से जो मंडल अध्यक्ष बने हैं उन्हें अब रिपीट नहीं करना है। इसके अलावा 45 वर्ष से अधिक उम्र वालों को भी अध्यक्ष नहीं बनाना तय किया गया। ऐसे में ज्यादातर पुराने मंडल अध्यक्ष हट गये लेकिन मुक्ताप्रसाद के कपिल शर्मा और शिवबाड़ी के अभय पारीक को रिपीट किया गया है। इसकी वजह यह है कि ये नये मंडल बने थे जिनमें वर्ष 2022 में ही नियुक्ति हुई। ऐसे में नियमानुसार इनका कार्यकाल भी पूरा नहीं हुआ। हालांकि एक मानक यह भी रखा गया था कि मंडल या जिला कार्यकारिणी सहित पार्टी का कोई दायित्व निभा चुके व्यक्ति को ही मंडल अध्यक्ष बनाया जाएगा लेकिन इसमें थोड़ी छूट एकाध नियुक्ति में साफ दिख रही है। इसके साथ ही एक अध्यक्ष के बारे में बताया जा रहा है कि वह पार्टी की ओर से तय किये गये उम्र के मानदंड पर खरा नहीं उतरता मतलब यह कि उम्र 45 से अधिक हो चुकी है।

आखिर क्यों नहीं चली लखावत की पर्ची वाली चुनाव प्रक्रिया:

भाजपा के हलकों में सवाल उठ रहा है कि ओंकारसिंह लखावत की पर्चियों पर ली गई कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों, बूथ अध्यक्षों की चुनावी पर्चियों को अध्यक्ष चुनने का आधार क्यों नहीं बनाया गया है।

सोशल मीडिया पर चुनौती, बाद में पोस्ट हटाई:

मंडल अध्यक्ष की लिस्ट आते ही सोशल मीडिया पर भाजपा के अंदरूनी हालात के संकेत भी दिखे। कई कार्यकर्ताटों ने मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति की पोस्ट लगाते हुए एमएलए का प्रभाव बताते हुए लिखा ‘मंडल अध्यक्ष तो ट्रेलर है, जिलाध्यक्ष की फिल्म अभी दिखानी बाकी है..।’ हालांकि देर रात से अलसुबह तक ऐसी कई पोस्ट लगी और वायरल हुई लेकिन बाद में इन्हें हटा दिया गया।

अब जिलाध्यक्ष के लिए जोर आजमाइश:

मंडल अध्यक्ष बनने के साथ ही अब जिलाध्यक्ष बनाने पर जोर आजमाइश तेज हो गई है। जिस तरह से मंडल अध्यक्ष तय किये गये हैं उससे साफ है कि जिलाध्यक्ष की चुनावी प्रक्रिया या सहमति भी नाममात्र की होगी। यह नाम ऊपर से ही तय होगा। जब नाम ऊपर से तय होगा तो उसमें विधायकों, सांसद की अलग-अलग राय होने पर मतभेद भी स्वाभाविक है।